कनावदा और बैराडी के समीप जंगलों में लहरा रही हैं सरसों की फसलें

राजगढ़ प्लांटेशन की जांच ठंडे बस्ते में 
कोलारस/विगत दो वर्षों से कोलारस वन परिक्षेत्र में दुआंधार होता अतिक्रमण मानव समाज के लिए चिंता का विषय कहा जा सकता है। वही हरे भरे ब्रक्षो की कटाई भी उक्त दो वर्षों में बेरोकटोक चलने से वन क्षेत्र उजाड़ का सबब बनी हुई है। प्रदेश में ढेरो एनजीओ शासन से करोड़ो का अनुदान इस बाबत ले रही है कि वे लगातार इस प्रकार की गतिविधियों पर नजर बनाए हुई है और शासन को सभी बस्तुस्थित से अवगत करा रही है । किंतु कोलारस वन क्षेत्र के विनाश के संदर्भ में न तो वरिष्ठ अधिकारी कोई सकारात्मक कदम उठा रहे है न ही इनसे संबंधित गैर शासकीय संस्थाएं इस तरफ कोई दायित्व निर्वाहन कर रहे है। पूर्व रेंजर और वन प्रबंधन के माफियाओं से असंगठित गठजोड़ के कारण राजगढ़ प्लांटेशन के दस हजार पेड़ कब कट गए और इसकी बाउंड्री को भी माफियाओं ने कब बेच दी इसकी वन विभाग को भनक भी न लगी ,ये बेहत चौकाने वाला पहलू है। जिसकी जांच भी ठंडे बस्ते में है। वही दूसरी ओर कनावदा,बैराड़ी से लगे सेरवाया के वन क्षेत्र को माफियाओं ने काट कर खेती में तब्दील कर दिया है। वन विभाग की उक्त गतिविधियां में अमला अपनी जेब भर रहा है । वर्तमान में बदराबास रेंजर तोमर पर ही कोलारस का प्रभार है उनकी छवि साफ है किंतु पूर्व पदस्थ अधिकारियों के कारनामों के कारण उन्हें भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अभी भी दोषियों की बचाव मुद्रा में नजर आ रहे है।
Previous Post Next Post