जीवन दायिनी गुंजारी नदी खत्म होने के कगार पर प्रदूषण और अतिक्रमण के चलते खत्म हो रही गुंजारी नदी

लवकुश शर्मा
नगर के मध्य से गुजरने वाली गुंजारी नदी की वजह से प्राकृतिक जल स्रोतों के लिए अपनी एक पहचान बनाई है। जहां भीषण गर्मियों में भी पानी के पर्याप्त भंडार है, लेकिन जलदायिनी गुंजारी नदी के तटों पर होने वाली अवैध खुदाई एवं साफ-सफाई व गहरीकरण पर ध्यान नहीं दिए जाने के चलते लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और घटते जल स्तर के कारण यह नदी विलुप्त होने की कगार पर जा पहुंची है। लेकिन नगर की जनता की भावनाओं का सम्मान करने वाली नप से लेकर समाजसेवा का ढिंढोरा पीटने वाले लोग भी जीर्णोद्धार करने की जहमत नहीं उठ पा रहे हैं। ग्राम नेतवास से निकलकर तमाम नदी नालों के साथ सिंध नदी में समाप्त होने वाली गुंजारी नगर की जलदायिनी मानी जाती है। इस नदी की वजह से क्षेत्र के सभी ट्यूबवेलों में भयंकर गर्मियों में इतना पानी रहता है। लेकिन नदी के तटों पर होने वाले मिट्टी के अवैध उत्खनन से लेकर उसमें कचरा डालने से प्रदूषण फैल रहा है। नगरीय क्षेत्र में कई जगह यह नदी कचरे व गंदगी से भरी पड़ी है। इलाके के जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों ने बदहाल होती जा रही गुंजारी नदी की अभी तक सुध नहीं ली है।

नगर पंचायत ने नहीं दिया ध्यान- नदियों को जीर्णोद्धार के लिए शासन से फंड आने के बाद भी स्थिति यह है कि नगर परिषद द्वारा नदी-नालों के विकास के लिए कोई ज्यादा राशि खर्च नहीं की गई है जिसके चलते ये हालात हो गए है कि नदी अपने अस्तित्व बचाने के लिए वाट जोह रही है। जबकि हर चुनाव में नेताओं के पक्ष में मुहिम चलाने की कोशिशें होती हैं, लेकिन जलदायिनी गुंजारी नदी को गहरीकरण करने के प्रति प्रयास नहीं होते। जिससे गुंजारी नदी तीव्र गति से बदहाली की ओर अग्रसर हो रही है 
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