लाड़ली बहिना योजना ने भाजपा को प्रदेश में दिलाया पुन: ताज - दो तिहाई से अधिक मिला भाजपा को बहुमत

लाड़ली बहिना योजना भाजपा के लिए मध्य प्रदेश में तारण हार बनी है। इस महत्वपूर्ण योजना ने भाजपा के खिलाफ एन्टीइनकंबशी को पूरी तरह धोते हुए अपेक्षा से अधिक बहुमत दिलाया है। सभी पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुए भाजपा ने एक बार फिर से प्रदेश की सत्ता पर कब्जा करने में सफलता हांसिल की है। भाजपा के पक्ष में इस योजना के कारण जबर्दस्त अण्डर करंट देखने को मिला। हालांकि प्रदेश में भाजपा के पक्ष में कोई लहर दिखाई नहीं दे रही थी, लेकिन जैसे-जैसे ईव्हीएम खुलती गई भाजपा के पक्ष में अण्डर करंट उभरकर सामने आने लगा। अब सवाल यह है कि प्रदेश में भाजपा आलाकमान किसे मुख्यमंत्री का ताज सौंपता है।
4 माह पहले मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति चुनाव की दृष्टि से काफी कमजोर बतार्ई जा रही थी। अधिकांश राजनैतिक समीक्षकों का मानना था कि प्रदेश सरकार और भाजपा विधायकों के खिलाफ जबर्दस्त सत्ता विरोधी माहौल है और कांग्रेस को बिना कुछ किए चुनाव में आसानी से सत्ता मिल जाएगी। समीक्षकों ने जनता की नब्ज पर हाथ लगाकर निष्कर्ष निकाला था कि जिस तरह से मार्च 2020 में भाजपा ने कांग्रेस सरकार को बेदखल किया था और विधायकों को फो?ने के लिए धनबल का इस्तेमाल किया था उससे जनता के मन में नाराजगी थी। इसका फायदा भी कांग्रेस को मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी। शायद इसी कारण ग्वालियर चम्बल संभाग की 34 सीटों पर भाजपा की स्थिति बहुत खराब बताई जा रही थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे तो उस चुनाव में कांग्रेस ने 26 सीटों पर विजय प्राप्त की थी और भाजपा 7 सीटों पर सिमट गई थी। चुनाव विश्लेषक बता रहे थे कि 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति इससे भी कमजोर रहेगी। उनका तर्क था कि भाजपा के खिलाफ नाराजगी ग्वालियर और मुरैना नगर निगम के चुनाव में सामने निकल कर आई थी और ऐसे ही परिणाम विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेंगे। ग्वालियर चम्बल संभाग के अलावा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के प्रभाव वाले क्षेत्र महाकौशल में भी भाजपा की काफी दयनीय स्थिति बताई जा रही थी। निमा? और बघेल खण्ड में भी भाजपा को कमतर आंका जा रहा था। भाजपा की आशा का केन्द्र मालवा और बुन्देल खण्ड बताया जा रहा था। देश के जाने माने चुनाव विश्लेषक योगेन्द्र यादव ने भविष्य वाणी कर दी थी कि मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार की विदाई और कांग्रेस सरकार का बनना तय है। इससे कांग्रेस का आत्म विश्वास ओवर कान्फीडेंस की सीमा पर पहुंच गया। कमलनाथ ने 500 रूपए में गैस सिलेण्डर, 200 यूनिट बिजली फ्री, नारी सम्मान योजना, जैसी अनेक ललचाने वाली योजनाओं की घोषणा कर दी। प्रदेश में चुनाव की कमान उन्होंने पूरी तरह से अपने हाथ में ले ली। यह भी तय हो गया कि कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री कमलनाथ होगे। लेकिन भाजपा ने हिम्मत नहीं हारी। केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह के प्रदेश में कई दौरे हुए, उन्होंने चुनाव की पूरी कमान अपने हाथ में ले ली। भाजपा ने सीएम प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की और कहा कि सरकार बनने के बाद तय होगा कि प्रदेश की कमान कौन संभालेगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान को अलग थलग करने की कोशिशें हुई लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दिन रात मेहनत कर भाजपा का ग्राफ बढ़ाने की वह कोशिश करते रहे। लाड़ली बहिना योजना लाकर उन्होंने महिलाओं को एक हजार रूपए प्रतिमाह देने की न केवल घोषणा की बल्कि उसका क्रियान्वयन भी करवा दिया। यह राशि बढ़ाकर 1250 रूपए कर दी गई और कहा गया कि जैसे-जैसे पैसों का इंतजाम होगा वह राशि ब?ाकर 3 हजार रूपए तक करेंगे। महिलाओं की प्रतिमाह आय कम से कम 10 हजार रूपए करने का उनका लक्ष्य है। इससे प्रदेश में भाजपा के पक्ष में वातावरण बनना शुरू हुआ। जवाब में कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना की घोषणा की और कहा कि सरकार बनने पर वह महिलाओं को 1500 रूपए प्रतिमाह देंगे। परन्तु इसका कोई असर होता हुआ नहीं दिखा। भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए जमकर मेहनत की। यहां तक की नरेन्द्र, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारा। सांसदों तक को भी चुनाव लड़वाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी प्रदेश के तमाम चक्कर लगाए और चुनाव के दौरान बड़्ी संख्या में भाजपा की आम सभाओं को संबोधित किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा ने भी धुंआधार प्रचार किया। उन विधानसभा क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जो कांग्रेस के गढ़ माने जाते थे। शिवपुरी जिले में कांग्रेस का गढ़ बन चुके पिछोर में भाजपा ने जीतने के लिए पूरी ताकत लगा दी। जिसके परिणाम स्वरूप भाजपा यहां काफी मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। भाजपा संगठन ने भी पार्टी को चुनाव जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वैसे भी देश भर में भाजपा का सबसे मजबूत संगठन मध्य प्रदेश में माना जाता है। जबकि कांग्रेस ने चुनाव में पूरी ताकत नहीं दिखाई। शिवपुरी जिले में कांग्रेस के पक्ष में इक्का दुक्का बड़े नेताओं ने आमसभाओं को संबोधित किया। कांग्रेस में उठापटक भी जबर्दस्त देखने को मिली। इसके बाद भी कांग्रेस आशा कर रही थी कि परिवर्तन लहर उसकी नैया को पार लगाएगी। उसे भरोसा था कि ओल्ड पेंशन स्कीम के क्रियान्वयन का वायदा उसके पक्ष में माहौल तैयार करेगा। लेकिन भाजपा की तारण हार लाड़ली बहिना योजना बनती हुई नजर आ रही है। मतदान के दौरान महिलाओं ने साफ तौर पर कहा कि जिस भाई ने उनका ध्यान रखा वह उनका ध्यान रखेंगे। इन सब कारणों से और भाजपा के मजबूत संगठन के कारण 20 साल से सत्ता में बनी हुई भाजपा ने कमाल कर दिखाया है।

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