कोलारस में झोलाछाप कर रहे हैं मरीजों की जिन्दगी से खिलवाड़: अनाप-शनाप उपचार से मौत की कंगार पर पहुंच रहे हैं मरीज..!!

कोलारस। बीमारियों की जांचों के नाम पर पैसों के लालच में झोलाछापों के ठिकानों पर लोगों की जिन्दगी के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में चल रहे कथित निजी अस्पतालों में झोलाछाप डॉक्टरों को पंख लग जाने से वह मरीजों को अनाप शनाप दवाईयां देकर उन्हें मौत की चोखट तक पहुंचाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। एप्रोच रोड सदर बाजार स्थित एक निजी अस्पताल में की जाने वाली जांच की रिपोर्ट कुछ और होती है, लेकिन उसी मरीज की जांच अन्य चिकित्सालय या पैथोलॉजी पर कराई जाती है तो रिपोर्ट एक दम पलट जाती है। कई बार तो अलग अलग निजी लैब्स की अलग-अलग जांच रिपोर्ट तक के मामले सामने आए हैं। इन सबके पीछे अस्पताल के चिकित्सक की‌ अक्षमता के साथ-साथ जांच लैब्स की लापरवाही प्रमुख कारण हैं। कोलारस के जगतपुर इलाके में जहां स्वास्थ्य विभाग के बीएमओ के कार्यालय के साथ ही उनके निवास भी है, वहां उनकी नाक के नीचे लोगों का स्वास्थ्य ठीक करने के नाम पर उन्हें गंभीर रूप से बीमार बनाने वाले झोलाछापों कि अड्डे संचालित हो रहे हैं।

दो दर्जन से अधिक झोलाछाप हैं सक्रिय: कोलारस नगरीय क्षेत्र की बात की जाए तो यहां पर दो दर्जन से अधिक झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानों को देखा जा सकता है। अब तो कुछ लोगों ने नियम विरूद्ध तरीके से डेन्टल चिकित्सालय भी खोलकर डॉक्टर बन गए हैं जबकि उनकी शिक्षा की बात की जाए तो आठवीं पास भी नहीं हैं। झोलाछापों की यह दुकानें एबी रोड, दालमील, राई रोड, एप्रोच रोड, सदर बाजार, मानीपुरा व जगतपुर क्षेत्र में हैं।जगतपुर में स्वास्थ्य विभाग की बीएमओ की नाक के नीचे झोलाछाप यह अवैध कारोबार संचालित किए जा रहे हैं। झोलाछापों द्वारा पैसा कमाने की उधेड़बुन में न केवल कथित निजी अस्पतालों में मर्ज की गफलत में न केवल मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है बल्कि चिकित्सालय व चिकित्सक की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग रहे हैं। निजी दवाखानों में की जाने वाली जांच कुछ और बोलती है, तो उसी मरीज द्वारा जाँच बाहर कराई गई तो रिपोर्ट में अंतर आया है। अब इस परिस्थिति में मरीज के सामने यह धर्म संकट खड़ा हो जाता है कि वह किस रिपोर्ट को सही माने और किसे गलत लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कानों में रूई ठूसे बैठे हुए हैं।

कौन कर सकता है डाक्टरी: यदि कोई व्यक्ति एलोपैथी चिकित्सा पद्धति से मरीजों का उपचार करता है तो उसे मेडीकल काउंसिल ऑफ इण्डिया एक्ट 1956 की धारा 13,1 के अंतर्गत मान्य अर्हताधारी का मप्र मेडीकल काउंसिल अधिनियम 1987 के अंतर्गत पंजीयन अनिवार्य है। लेकिन कोलारस परगने में यह नियम व अधिनियम ताक पर रखकर सब्जी-भाजी कर तरह निजी अस्पताल खुल गए हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति से चिकित्सा व्यवसाय करने के लिए मप्र आयुर्वेद यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी अधिनियम 1970 के अंतर्गत शेड्यूल में उल्लेखित मान्य अर्हताधारी का बोर्ड ऑफ आयुर्वेदिक एण्ड यूनानी सिस्टम ऑफ मेडीकल एण्ड नैचुरोपैथी मप्र के अंतर्गत पंजीयन अनिवार्य है। होम्योपैथी एण्ड बायोकेमिकल ऑफ मेडीसन के अंतर्गत डॉक्टरी करने के लिए होम्योपैथी सेन्ट्रल काउंसिल एक्ट 1973 की दूसरी-तीसरी अनुसूची में मान्य अर्हताधारी का स्टेट काउंसिल ऑफ होम्योपैथी मप्र के अंतर्गत पंजीयन जरूरी है। लेकिन कोलारस अंचल में अधिकांश झोलाछापों ने पंजीयन ही नहीं कराया और डॉक्टर बने बैठे हुए हैं जो जनता के साथ धोखाधड़ी है।
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