शिवपुरी, मगरमच्छों का शहर की ओर पलायन, जाधव सागर में गुजार रहे है जीवन

लवकुश शर्मा 
शिवपुरी। खबर शहर के माधव नेशलन पार्क से आ रही है। जहां माधव नेशलन पार्क की सांख्य सागर झील में जलकुंभी द्धारा अतिक्रमण किए जाने से इस सागर में रह रहे मगरमच्छों का जीवन संकट में आ गया है। यहां मगरमच्छ पूरी तरह से अपने आप को सेफ महसूस नहीं कर रहे। जिसके चलते अब यह मगरमच्छ शहर की और पलायन करने को मजबूर है। यह फोटो आप जो देख रहे हो यह फोटो जाधव सागर का है। जहां सांख्य सागर झील से पलायन कर यह मगरमच्छ शहर की और अपना रुख कर रहे है। जहां एक साथ कई मगरमच्छों के झुंड को देखा जा सकता है। जबकि पूर्व में इतनी संख्या एक साथ मगरमच्छों नहीं देखा गया हैं।

इसकी मुख्य वजह माधव नेशनल पार्क की सांख्य सागर झील (चांदपाठा) में फैली जलकुंभी को माना जा रहा है। जिले में औसत बारिश का आंकड़ा पूरा न होने के चलते झील में जल स्तर भी काफी कम है। इसके साथ ही झील को जलकुंभी ने पूरी तरीके जकड़ रखा है। इसके चलते सांख्य सागर झील में रहने बाले हजारों की तादात में मगरमच्छों को पलायन करना पड़ रहा है।

बता दें कि सांख्य सागर झील से सटे से हुए करबला क्षेत्र को जलकुंभी ने जकड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त करबला से कुछ दूर जाधव सागर में भी जलकुंभी फैल चुकी है। इसी बजह के चलते अब मगरमच्छ शहर के नालों की ओर बढ़ रहे हैं। जबकि सांख्य सागर झील को रामसर साइट का दर्जा प्राप्त है और सांख्य सागर झील में रहने वाले मगरमच्छों को ब्रांड एंबेसडर दर्जा मिला है। इसके बावजूद झील और मगरमच्छों को उपेक्षा का सामना करना पढ़ रहा है।

हर साल बारिश के मौसम में शहरी क्षेत्र में मगरमच्छों के निकलने की घटनाएं सामने आती रहती है लेकिन नालों में बढ़ती मगरमच्छों की संख्या ने अनुमान लगाया जा सकता है कि इस बार ही बारिश के मौसम में शहरी क्षेत्र में मगरमच्छ निकलने की घटनाओं में ओर इजाफा हो सकता हैं।

सांख्य सागर झील को रामसर साइट (वेटलैंड) का दर्जा मिले दो साल से अधिक का समय गुजर चुका है। लोगों को अंतरराष्ट्रीय दर्जा मिलने के बाद उम्मीद थी कि झील का संरक्षण होगा, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही का आलम ये है कि यहां वोटिंग तो बंद ही हो गई, यहां सबसे अधिक संख्या में पाए जाने वाले मगरमच्छों के जीवन पर भी संकट आ गया है।

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